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सनावर में साइकिलिंग, यादगार लम्हे
पहाड़ी की चोटी पर बसे स्कूल ऑफ स्टार प्रतिष्ठित लॉरैंस स्कूल सनावर में साइकिलिंग का मौका मिला तो उत्साह चरम पर था। यह दुनिया के सबसे पुराने बोर्डिंग स्कूलों में से एक है। ब्रिटिश सैनिकों के बच्चों के लिए यह स्कूल खोला गया था। सोलन जिले के कसौली की वादियों में स्थित 176 साल पुराना यह स्कूल 139 एकड़ में फैला है। यह भारत के सबसे महंगे स्कूलों में शुमार है।
स्कूल में टूर द सनावर के चौथे संस्करण का आयोजन हुआ। सुबह 7 बजे जैसे ही स्कूल में दाखिल हुए तो कतारों में जा रहा हर बच्चा गुड मॉर्निंग सर कहते हुए निकला। साइकिलिंग शुरू होने में वक्त था तो एक साथी ने कहा कि चलो मैं आपको स्कूल घुमाकर लाता हूं, मैं यहां पहले आ चुका हूं। स्कूल में हर चीज भव्य पैमाने पर थी। इसकी इमारतें, इसकी संपत्ति और इसकी भावना को परिभाषित करना असंभव है। खेत्रपाल स्टेडियम, म्यूजियम, गैस्कल हॉल, पार्कर हॉल, चेपल के अलावा स्कूल में पुराने समय की तोपें, सर हेनरी की कार्ट, ऑल वैदर स्वीमिंग पूल और स्क्वाश कोर्ट हर जगह घूमे। खुशनुमा मौसम में रोमांच से भरे ट्रैक पर उतरे तो अपहिल, डाऊनहिल और तीखे मोड़ों से सामना हुआ। मगर जगह-जगह कभी हार न मानने (नेवर गिव इन) के संदेशों के बोर्डों ने जोश को हाई रखा। कुछ साथी बीच में साथ छोड़ गए मगर हम कभी हार न मानने की भावना के साथ फिनिशिंग लाइन की ओर चलते रहे। सभी कैटेगरी की रेस खत्म होने के बाद लंच का समय हुआ तो स्कूल के बच्चे फिर मिले तब सामना हुआ गुड आफ्टरनून से। लजीज लंच के बाद अवार्ड सैरेमनी हुई। ज्यादातर अवार्ड स्कूल के बच्चों ने ही जीते क्योंकि वे यहां के ट्रैक के जानकार थे और उनकी यहां प्रैक्टिस भी होगी। खैर हमें भी फिनिशर मैडल मिला। बेटा भी साथ था मगर जब ट्रैक के बारे में ब्रीफिंग हुई तो मैंने उसे साइकिलिंग से मना कर दिया कि कहीं कोई चोट न लगा ले। कुल मिलाकर यहां का अनुभव यादगार रहेगा। ।